Sunday, April 20, 2014

मास्टर जी की कहानियां

तीस सालों में कभी किसी से इस बारे में बात ही नहीं की. ना कभी अपनी बीवी को बताया, ना कभी अपनी बेटी को और ना कभी दोस्तों को, पर पता नहीं क्यों आज फिर से एक बार मास्टर जी से कहानी सुनने का मन हुआ, या शायद आज तीस साल बाद मुझे जीवन में फिर से प्रेरणा की जरुरत थी.

बहुत प्रेरित करती थीं मास्टर जी की कहानियां.

गाँव के उस स्कूल में कूल मिलाकर तीन अध्यापक थे पर मास्टर जी की बात ही अलग थी, यूँ तो वो हिंदी और गणित पढ़ाते थे पर सारे बच्चे उन्हें पसंद करते थे उनकी कहानियों के लिए. मास्टर जी की हर कहानी बच्चो को जीवन में कुछ हासिल करने की लिए, कुछ बनने के लिए प्रेरित करती थीं. वैसे तो मास्टर जी के २० साल के करियर में कुछ ८-१० कहानियां ही थीं पर बच्चो को प्रेरित करने के लिए वो काफी थीं और आखिर हो भी क्यों ना, ये ८-१० कहानियां इसी स्कूल से निकले उन बच्चो की थीं जिन्होंने जीवन में कुछ हासिल किया था.

जब मैं गाँव पंहुचा तो सुबह के १० बजे थे, मुझे तो मालुम भी ना था की स्कूल आज भी चलता है या मास्टर जी आज भी स्कूल में पढ़ाते हैं पर ना जाने क्यों लगा की शायद चलता होगा और शायद मास्टर जी भी होंगे. मास्टर जी हफ्ते में सिर्फ दो दिन कहानी सुनाते थे मंगलवार को और शुक्रवार को, और आज शुक्रवार ही था

गाँव पहुंचकर में पहले सरिता मामी के घर गया. उन्हें भी मेरे हालात के बारे में कुछ ज्यादा नहीं पता था और ना ही मैंने कुछ ज्यादा बताया. थोड़ी देर बात करने के बाद मैंने मास्टर जी के बारे में पूछा, मामी का जवाब सुनकर मुझे एक अजीब सा अहसास हुआ,शायद थोड़ी सी ख़ुशी हुई और मैं चल दिया स्कूल की तरफ. पता नहीं मेरे चेहरे और मेरी आँखों ने मामी को सब कुछ बताया या उन्होंने खुद समझा पर वो भी मेरे साथ स्कूल की तरफ चल पढ़ी.

"हमारी आज की कहानी का मुख्य पात्र है - अमित कुमार", नाम सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए, वैसे मास्टर जी की हर कहानी रोंगटे खड़े करने वाली हो होती थी.

"तो बच्चो अमित कुमार ने १९८० में इसी स्कूल से आठवी पास की थी और फिर वो शहर स्कूल पढ़ने गया था".

मैंने मास्टर जी को नमस्ते की और फिर मैं जमीन पर बीछी चटाई पर बैठ गया मास्टर जी की कहानी सुनने, सारे बच्चो ने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर कहानी में डूब गए.

मास्टर जी ने बच्चो को बताया की कैसे अमित गाँव से शहर पढ़ने गया, कैसे फिर उसने अच्छे कॉलेज इस इंजीनियरिंग की और फिर आगे की पढाई के लिए अमेरिका गया. मास्टर जी पूरे आनंद से अमित की कहानी सुना रहे थे.

और अपने ख्यालो में खोया हुआ ये सोच रहा था की काश में मास्टर जी के पास तीन साल पहले आता जब मेरी बीवी मुझे तलाक देकर मेरी एकलौती बेटी के साथ मुझे हमेशा छोड़कर चली गयी थी, या फिर तब आता जब ६ महीने पहले मुझे नौकरी से निकाल दिया गया था. पता नहीं क्यों ६ महीने इंतज़ार करने के बाद मैंने ये फैसला किया की अब अमेरिका छोड़ना ही मेरे लिए सही है. पिछले ३ सालो में मैं जिंदगी से हार सा गया था .

"तो बच्चो आज अमित अमेरिका में एक बहुत बड़ी कंपनी चलाता है और अपनी बीवी और बेटी के साथ वहीँ रहता है"

सफलता और असफलता देखने वाले के नजरिये पर निर्भर करती है. अपनी नजरिये से मैं शायद आज असफल था पर मास्टर जी के नजरिये से सफल. और मास्टर जी की कहानी ने आज फिर से सुनने वालो को प्रेरित किया था और उन प्रेरित होने वालो में से एक उस कहानी का मुख्य पात्र था.

कहानी खत्म करने के बाद मास्टर जी बच्चो के सवालो में व्यस्त हो गए. मैं चुपचाप उठकर चलने लगा तो मास्टर जी ने पूछा की बेटा कौन हो तुम?

"मास्टर जी ये ही तो है......" इससे पहले की सरिता मामी मेरा नाम बताती मैंने उन्हें रोक दिया. मेरे अंदर ना तो मास्टर जी की कहानी का अंत बदलने की शक्ति थी और न ही बच्चो की उम्मीद तोड़ने की.

मास्टर जी की कहानियां सच में आज भी बहुत प्रेरित करती हैं|