Monday, July 1, 2013

इंसान

"मंदिर में क्यों आते हो बेटा" पुजारी ने मुझसे पूछा
"सूना है यहाँ भगवान् मिलते हैं" मैं बोला

"भगवान् तो हर जगह हर इंसान में हैं, जाओ और खोजो" पुजारी ने कहा.

कुछ वक़्त बाहर खोजने के बाद में फिर मंदिर गया

"क्यों बेटा किसी इंसान में भगवान् दिखे?" पुजारी ने पूछा
"भगवान् को छोडो, मुझे तो इंसान में इंसान नहीं दिखे" मैंने कहा. 

हम सब में

सिखाया गया है हमेशा से मुझे कुछ ऐसा |
हम सब में भगवान् है, सब में अल्लाह, सब में जीसस, सब में वाहेगुरु ||

पर देखा है मैंने जमाने में हमेशा से कुछ ऐसा |
हम सब में इर्ष्या है, सब में झूठ है, सब में कपट है, सब में लालच है ||

तो मुझे अब लगता है कुछ ऐसा |
ना किसी में भगवान् है, ना किसी में अल्लाह, ना किसी में जीसस, ना किसी में वाहेगुरु ||

या फिर |
भगवान् में इर्ष्या है, अल्लाह में झूठ, जीसस में कपट और वाहेगुरु में लालच ||

Sunday, June 30, 2013

इंसान या भगवान (2)

शिव लिंग पर एक लौटा दूध चढ़ाकर मंदिर से निकला था वो |
सीडियों पर बैठे एक भीखारी ने पानी माँगा तो उससे लात मार दी ||

इंसान या भगवान

मंदिर भी गया मैं, मस्जिद भी, गुरुदवारे भी और चर्च भी |
सबने धक्के मारकर मुझे बाहर निकाल दिया ||

मैंने बस इतना भर था पूछ लिया कि |
"भगवान् ने इंसान को बनाया है या इंसान ने भगवान को?" ||