Thursday, October 7, 2010

....खेल है

अखबारों में छपते है जो
उनके घर नोटों का खेल है

छपकर भी बचते है जो
वो सारा वोटो का खेल है

किसी के लिए बस कोर्ट है खाफी
किसी के लिए पूरा Stadium खेल है

किसी के लिए बस सो मीटर की बात है
किसी के लिए पूरा शहर खेल है

किसी ने जिंदगी दे दी देश को
किसी के लिए देश से सिर्फ लेना खेल है

आज भी चालीश करोड़ खिलाडी हैं भारत में
जिनके लिए सिर्फ रोटी कपडा ही खेल है

-अंकुर