Friday, April 5, 2013

मंत्री जी की देन


Note: One of my first poem, wrote this in year 2002 when I joined Motilal Nehru NIT, Allahabad. This is a work of fiction.  

मैंने भी इन्टर की परीक्षा की पास थी
और दिल में इंजिनियर बनने की आस थी
मुझे तो बस सफलता की प्यास थी
खैर ये सब तो बकवास थी

अब बात वो जो की ख़ास थी

कोचिंग का मैंने लिया सहारा
पढाई पर दिया ध्यान सारा
दो साल तक कहीं नंबर ना आया
मुझे मेरे रिजल्ट ने बना दिया नकारा
और मैं फिरा मारा मारा

फिर अचानक ....

मुझे एक मंत्री जी की याद आई
जिन्हें थी मैंने एक सभा में माला पहनाई
उन्हें जाकर मैंने अपनी कहानी सुनाई
वो बोले दुखी मत हो भाई

और पूछा

और पूछा कौन सा कॉलेज चाहिए
मैंने कहा अब तो कुछ भी दिलवाइए
वो बोले मोतीलाल चलेगा
मैं चौंका, क्या वह भी मिलेगा

उन्होंने कहा पैसे का करो इंतज़ाम
हो जायेगा तुम्हारा काम

और फिर

मैं यहाँ आया क्यूंकि
मंत्री जी को दिया पैसा
तभी तो हुआ कुछ ऐसा
वरना मुझमे कहाँ है इतना ब्रेन

मोतीलाल है "मंत्री जी की देन".