Friday, August 9, 2013

नेता जी

आपके एक इशारे से पूरा प्रदेश हिल सकता है, जानता हु मैं
पर थोड़ा संभाल के हिलाओ नेता जी, कहीं जनता जाग न जाए

मेरी कोई कल्पना

आज की वास्तिवकता क्यों मेरी कल्पनाओ को भी प्रेरित नहीं कर पाती है |
क्यों हर रोज मेरी कलम से एक दो कविता नहीं निकलती जाती है ||

महीनो गुजर जाते हैं चंद शब्दों के जोड़ भाग में  |
क्यों नहीं मेरी कोई कल्पना ही वास्तिवकता बन जाती है ||

Monday, August 5, 2013

पर मैं ठहरा नहीं

कभी राहें आसान थीं कभी मुश्किल
पर मैं ठहरा नहीं

कभी ना राहें थीं ना थी मंजिल
पर मैं ठहरा नहीं