सारे छात्र उन्हें बॉलीवुड बाबा के नाम से जानते थे. ये नाम किसी ने उन्हें ऐसे ही नहीं दिया था, उन्होंने कमाया था अपने बॉलीवुड प्रेम के कारण, बॉलीवुड के दीवाने थे वो. राज कपूर हो या रणबीर कपूर, १९६० हो या २०१०, उन्हें बॉलीवुड की हर फिल्म, हर अभिनेता, अभिनेत्री, लेखक, गायक, निर्देशक अजी यु कहिये बॉलीवुड के हर खबर की खबर रखते थे बॉलीवुड 'बाबा'. बॉलीवुड के साथ मानो 'अमर प्रेम' था बाबा का.
"क्या हुआ बाबा आज चेहरा कोरा कागज़ नजर आ रहा है आपका", एक छात्र ने पूछा.
पढ़ाना तो उन्होंने लगभग ५ साल पहले बंद कर दिया था पर आज भी एक आध घंटे के लिए स्कूल चले आते थे, ३० साल पढ़ाने के बाद स्कूल से लगाव नहीं छूटा था उनका. और इसी बहाने बच्चो को हिंदी के कुछ पाठ भी पढ़ा दिया करते थे
"हाँ, बेटा कुछ नहीं, बस पुरानी
यादें"
"क्या बाबा फिर से मधुबाला?",
मजाक में एक छात्र ने कहा.
बाबा ने कोई जवाब नहीं दिया, और सोच में डूब गए. रात का सपना उनके जहन में अभी भी था, पर सपना अधूरा सा था. बाबा को इतना तो याद था की सपना किसी हिंदी फिल्म का ही था पर कुछ ज्यादा याद नहीं आ रहा था. सुबह से बाबा याद करने की कोशिश भी कर चुके थे पर कुछ भी याद नहीं आया. बस याद आया तो इतना भर की फिल्म का हीरो मर जाता है. पर ये तो काफी हिंदी फिल्मो में होता है.
"अच्छा बच्चो
ऐसी फिल्म का नाम बताओ जीमे हीरो मर जाता है"
बाबा "शोले"
बाबा "बाज़ीगर"
बाबा "डॉन"
"बेटा डॉन में
हीरो नहीं विलन मरता है"
बाबा शाहरुख़ खान वाली
डॉन में तो हीरो ही मरता है.
बाबा को लगा की ये
क्या सवाल पूछ लिया, अनगिनत फिल्में हैं जिनमे हीरो मर जाता है. और बाबा बच्चो से अलविदा
कर चल पड़े अपने घर की और. वो अधूरा सपना बाबा के जहाँ में अभी भी जिन्दा था और बाबा
को मनो चुनौती दे रहा था "पहचान कौन". बाबा ने ठान ली की वो ढूंढ कर रहेंगे
की आखिर ये सपना कौन सी फिल्म से प्रेरित है.
तीन दिन तक बाबा ने
कोई बीस से ज्यादा फिल्में देख डाली, शोले से शुरू कर, बाज़ीगर, दीवार, देवदास और भी
ऐसे ही कई फिल्में. पर कुछ समझ नहीं आया, बाबा ने तीसरी बार शोले शुरू कर दी.
"कोई है अंदर",
तीन दिन जब बाबा स्कूल नहीं आये तो दो छात्र बाबा को ढूंढते हुए उनके घर पहुंच गए.
"अरे आओ राजा
और अमित, क्या हुआ इधर कैसे आ गए आज"
"कुछ नहीं बाबा,
आप स्कूल नहीं आये तो हमने सोचा की चल कर देख लें की आप कैसे हैं, आप कुछ बीमार लग
रहे हैं"
तीन दिन भूख, प्यास,
नींद सब छोड़कर सपने को सुलझाने में लगे थे बाबा और इसका असर उनके चेहरे पर साफ़ दिख
रहा था. उनके बॉलीवुड प्रेम और अधूरे सपने ने उनकी भूख, प्यास, नींद सब उड़ा दिए थे.
इस अधूरे सपने को सुलझाना मानो उनकी जिद बन गया था.
"भ्रष्टाचार" बाबा ने अचानक तेज से बोला और राजा और अमित की
और देख कर सहम गए.
बच्चो मेरी एक मदद
करोगे, अपने भगवान से कुछ सवाल पूछकर बताओ मुझे.
बाबा भगवान तो एक ही
है, आपका भी और हमारा भी.
नहीं, तुम लोगो का
भगवान तो गूगल है.
बाबा को इतना पता हो
गया की हीरो मरता है और भ्रष्टाचार से लड़ते हुए मरता है पर ऐसा भी न जाने कितनी फिल्मो
में होता है. टीवी पर अभी भी शोले ही चल रही थी. संजीव कुमार को देखकर बाबा को लगा
की कुछ तो रिश्ता है संजीव कुमार का उनके सपने के साथ पर.... हीरो संजीव कुमार, सोच
में पड़ गए बाबा. बच्चो और गूगल की मदद से बाबा ने कुछ और फिल्मो के नाम ढूंढे और फिर
जूट गए अपने यादाशत ताजा करने में. पर सवाल इतना आसान ना था. कुछ देर बाद राजा और अमित
बाबा को नमस्ते कर अपने घर चले गए
लगभग एक हफ्ते तक बाबा
अपने घर से नहीं निकले और ना ही कोई उनके घर गया. एक हफ्ते बाद राजा और अमित जब बाबा
के घर पहुंचे तो देखा की घर का दरवाजा खुला था. जब वो अंदर घुसे तो उन्होंने देखा की
टीवी पर दीवार चल रही थी और बाबा लगभग बेहोश हालत में फर्श पर पड़े हुए थे. जब राजा
ने बाबा को उठाने के लिए उनका हाथ पकड़ा तो हक्का बक्का रह गया. बाबा का शरीर बुखार
से तप रहा था.
अस्पताल पहुचने पर
पता चला की बाबा दस दिन से बिना कुछ खाया पिए ही रह रहे थे. उन्हें इमरजेंसी वार्ड
में भर्ती करवाया गया. बाबा के परिवार वाला तो कोई नहीं था, स्कूल के कुछ अध्यापक और
बच्चे आ गए थे बाबा को देखने.
अगले दिन जब बाबा को
होश आया तो बोले "अस्पताल", उनका बॉलीवुड प्रेम ज़िंदा था.
"राजा अब बता,
हीरो मर जाता है, भ्रष्टाचार से लड़ते हुए मरता है और अस्पताल में मरता है, शायद संजीव
कुमार से भी कोई रिश्ता है फिल्म का", इतनी सहजता से सारे मोतियों को एक साथ पिरो
दिया बाबा ने, अब गूगल बाबा की बारी थी. बच्चो को समझ आ गया था की अगर बाबा का सपना
न सुलझा और फिल्म का नाम न पता चला तो बाबा चल बसेंगे.
"बाबा शोले और
शतरंज के खिलाड़ी, पर इनमे अस्पताल नहीं है"
"शोले",
हाँ बाबा सोचने लग गए.
"धर्मेद्र और
संजीव कुमार की और कौन से फिल्में....." पूरी बात कहने से पहले ही बाबा फिर से
बेहोश हो गए.
शोले, सीता और गीता,
चला मुरारी हीरो बनने, कुंवारा बाप, सत्यकाम और .....
"सत्यकाम"
बाबा ने बेहोशी की हालत में ही जवाब दे दिया, बच्चो ने देखा की बाबा के चेहरे पर हलकी
सी मुस्कान थी.