Meri Awaaz
Monday, February 25, 2013
ऐसी कोई लहर
तेरे पैरो के निसान रेत से मिट तो जाते....
पर जो वहाँ तक पहुच सके
ऐसी कोई लहर नहीं आई तेरे जाने के बाद.
पैमाना
"ज़रा यहीं ठहरो तुम, मैं बस कुछ मिनटों में आता हूँ" कहकर गया था वो.
मिनट दिनों में बदलते गए, दिन महीनो में और महीने सालो में.
सोचता हूँ की उसका समय का पैमाना गलत था या मेरा विश्वास का.
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