Meri Awaaz
Sunday, January 20, 2013
रोटी
मंदिर की सीड़ियों पर बैठे उस भिखारी से मैंने पूछा
तू हिन्दू है, मुस्लिम है, सिख है या ईसाई.
उसने मेरी तरफ देखा और टूटी हुई आवाज में बोला
साहब याद नहीं है, कई दिन से रोटी जो नहीं खाई.
दिशा
जब कुछ राहों के आखिर में
ना मंजिल होती है ना राहें
तब समझ लेना कि
यह अंत नहीं शुरुआत है.
जरुरत है तो बस दिशा बदलने की.
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)