Meri Awaaz
Monday, January 7, 2013
दर्द - ए - दिल्ली (2)
"मत दफनाना इस जमीन पर मुझे", चीखी थी वो.
यहाँ के इंसान लाश को भी नोच लेते हैं.
दर्द - ए - दिल्ली
डर नहीं था मुझे की मैं कुछ ना देख पाऊँगी.
एक सोच थी की बस कोई मुझे न देख पाए.
और मैं मुड़ गयी उस तरफ जिस रास्ते अँधेरा था.
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