Monday, January 7, 2013

दर्द - ए - दिल्ली

डर नहीं था मुझे की मैं कुछ ना देख पाऊँगी.
एक सोच थी की बस कोई मुझे न देख पाए.

और मैं मुड़ गयी उस तरफ जिस रास्ते अँधेरा था.


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