Meri Awaaz
Sunday, February 3, 2013
शब्द
शब्दों पर मुक़दमा था देश के खिलाफ बगावत का
अदालत में बैठे ग़ालिब के हाथ पर हथकड़ी थी
देश की अखंडता और एकता का मामला था
ग़ालिब ने सोचा "खुद को ख़तम करू या शायरी को"
क्यूंकि भावनाओ को ख़तम करना आसान नहीं.
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment