Saturday, January 8, 2011

उस वक़्त में

वो वक़्त ही कुछ और था
तब कुछ अलग ही हवा बहती थी
मैं नहीं ये धरती है तेरी माँ
हर माँ अपने बच्चे से कहती थी

क्या खून था उस वक़्त का
उस खून कि क्या जवानी थी
हरा दिल था सराबोर प्रेम से
हर दिल कि एक ही प्रेम कहानी थी

कुछ कर जाएँ देश के लिए
वरना जीवन धिक्कार था
ऐसे भी कुछ लोग जन्मे हैं
जिन्हें सिर्फ देश से प्यार था

आजादी कि उस चाह में
उन्होंने सब कुछ गवाया था
हमारी पीढ़ी जीए अपने भारत में
उन्होंने बस इतना भर पाया था

आज देश को लूटने को
हर कोई हर कोशिश करता है
लगता है जैसे सब कहानियां हैं
कौन देश कि खातिर मरता है

अफ़सोस रहेगा मुझे हमेशा
कि मैं उनके जैसा क्यों नहीं बना
गलती तुझसे भी हुई ए-खुदा
तुने मुझे उस वक़्त में नहीं जना.

4 comments:

  1. "Afsos rahega mujhe hamesha
    ki main unn jaisa kyun nahi bana
    galti tujhse bhi hui aye khuda
    tune mujhe uss waqt mein nahi janaa..."


    Atii-sundar... do tell me its ur own peom...

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  2. Hey Kajal.
    Thanks for compliments and reading my blog.
    Yeah, My all blog articles here are my own creations only.
    .ankuR

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  3. you write good...:).. best thing I liked about it is the clarity of thoughts and simplicity in writing style... I consider is very hard to stick to one main point while writing.. You do it really well..

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  4. Thanks again Kajal.

    I try my best to keep it as simple as possible.

    :)

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