Meri Awaaz
Monday, January 3, 2011
अब !
पैमानों से नहीं लडखडाते कदम अब हमारे !
यूँ ही बैठे बैठे हम महखाने पी जाते हैं !!
1 comment:
vivek martolia
June 2, 2011 at 3:43 AM
जनाब महखाने पीते रहिये , हाजमा दुरुस्त रहेगा :)
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जनाब महखाने पीते रहिये , हाजमा दुरुस्त रहेगा :)
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