कभी उसके पास वक़्त काम था
कभी मुझे जल्दी थी
बहुत तेज रफ़्तार से मानो
रेल गाडी समान जिंदगी चल दी थी
वक़्त खड़ा मूक बना
टकटकी बांधे देखता था
उससे कितने आगे निकल पाएंगे
वो शायद ये सोचता था
हर पल ख़ुशी और दुःख के
मोती की तरह सजोये थे
वक़्त ने तो बड़ी सजींदगी से
जीवन की माला में वो मोती पिरोये थे
हमारे दरवाजे पर दस्तक देकर
वक़्त कुछ इशारा करता था
जरा सा ठहरो तुम
शायद तेज चलने से वो डरता था
हमें क्या मालुम था एक दिन
ये वक़्त निकल जायेगा
न बचपन, न जवानी
लौटकर कुछ न आएगा
ठहरकर कुछ लम्हे हमने
फिर वक़्त के साथ बिताये थे
ऐसा लगा मानो हम
सारा संसार पाए थे
कभी मुझे जल्दी थी
बहुत तेज रफ़्तार से मानो
रेल गाडी समान जिंदगी चल दी थी
वक़्त खड़ा मूक बना
टकटकी बांधे देखता था
उससे कितने आगे निकल पाएंगे
वो शायद ये सोचता था
हर पल ख़ुशी और दुःख के
मोती की तरह सजोये थे
वक़्त ने तो बड़ी सजींदगी से
जीवन की माला में वो मोती पिरोये थे
हमारे दरवाजे पर दस्तक देकर
वक़्त कुछ इशारा करता था
जरा सा ठहरो तुम
शायद तेज चलने से वो डरता था
हमें क्या मालुम था एक दिन
ये वक़्त निकल जायेगा
न बचपन, न जवानी
लौटकर कुछ न आएगा
ठहरकर कुछ लम्हे हमने
फिर वक़्त के साथ बिताये थे
ऐसा लगा मानो हम
सारा संसार पाए थे
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