आज की वास्तिवकता क्यों मेरी कल्पनाओ को भी प्रेरित नहीं कर पाती है |
क्यों हर रोज मेरी कलम से एक दो कविता नहीं निकलती जाती है ||
महीनो गुजर जाते हैं चंद शब्दों के जोड़ भाग में |
क्यों नहीं मेरी कोई कल्पना ही वास्तिवकता बन जाती है ||
क्यों हर रोज मेरी कलम से एक दो कविता नहीं निकलती जाती है ||
महीनो गुजर जाते हैं चंद शब्दों के जोड़ भाग में |
क्यों नहीं मेरी कोई कल्पना ही वास्तिवकता बन जाती है ||
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