Sunday, December 26, 2010

आज सोचता हू !

मंजिले भी उसकी थी
रास्ता भी उसका था
एक मैं अकेला था
काफिला भी उसका था

साथ साथ चलने की
सोच भी उसकी थी
फिर राहें बदलने का
फैसला भी उसका था

आज सोचता हू तो
दिल सवाल करता है
लोग तो उसके थे
क्या खुदा भी उसका था ?

3 comments:

  1. nice short crisp and effective poem! :)

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  2. wah kya to likha hai..."log to uske the kya khuda bhi uska tha"....

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  3. Thanks Beena and Akki ... :P
    More to come !

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